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बिहार लैंड सर्वे: जमीन विवाद में न लें टेंशन, नीतीश सरकार का नया समाधान लागू

बिहार में चल रहे इस सर्वे के अंतर्गत केवल खेती की जमीन ही नहीं, बल्कि बंजर जमीन, मकान और बगीचों का भी सर्वे किया जाएगा।

बिहार में जमीन सर्वे से जुड़े मामलों पर नीतीश सरकार ने एक नया और प्रभावी समाधान पेश किया है। 17 सितंबर 2024 को जारी इस निर्देश के तहत अब जमीन पर किसी तरह का विवाद होने के बावजूद भी सर्वे का काम रुकने वाला नहीं है। राज्य सरकार का यह कदम किसानों और जमीन मालिकों के लिए राहतभरा साबित हो सकता है, खासतौर पर उन लोगों के लिए जो लंबे समय से जमीन विवाद में फंसे हुए हैं।

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि सर्वे के दौरान दाखिल-खारिज दस्तावेज का अपडेट होना अब जरूरी नहीं है। यानि, अगर आपके पास पुराना दस्तावेज है तो वह भी मान्य होगा। इस निर्णय से उन लोगों को बड़ी राहत मिलेगी, जिनके दस्तावेज अपडेट नहीं हो पाए हैं।

जमीन सर्वे का व्यापक दायरा

बिहार में चल रहे इस सर्वे के अंतर्गत केवल खेती की जमीन ही नहीं, बल्कि बंजर जमीन, मकान और बगीचों का भी सर्वे किया जाएगा। सर्वे के दौरान अगर जमीन पर किसी तरह का विवाद होता है तो भी सर्वे कर्मी आवेदन लेने के लिए बाध्य होंगे। अगर दस्तावेज में कोई कमी पाई जाती है, तो सर्वे कर्मी उससे जुड़े दस्तावेज की मांग करेंगे।

इसके अलावा, अगर किसी जमीन मालिक को किसी गड़बड़ी की आशंका होती है तो वह तीन बार तक अपील कर सकता है। यह तीन-स्तरीय अपील प्रणाली लोगों के लिए सुरक्षा की एक अतिरिक्त परत प्रदान करती है।

प्रपत्र-2 के जरिए स्वघोषणा का मिलान

राज्य सरकार के नए निर्देशों के अनुसार, जमीन सर्वे के दौरान दाखिल-खारिज का अपडेट दस्तावेज अनिवार्य नहीं होगा। जो भी कागजात आपके पास मौजूद हैं, उनके आधार पर आप अपनी जमीन की जानकारी प्रपत्र-2 में दे सकते हैं। इसके बाद सर्वे अधिकारी सरकारी दस्तावेजों के साथ आपकी दी गई जानकारी का मिलान करेंगे। सरकारी और निजी जमीन का भी इस सर्वे में समावेश होगा और किसी भी जमीन को छोड़ा नहीं जाएगा।

सरकार का यह फैसला जमीन विवादों को तेजी से सुलझाने में मददगार साबित हो सकता है, खासतौर पर उन मामलों में जहां दस्तावेजीकरण की प्रक्रिया में कमी है या दस्तावेज पुराने हो चुके हैं।

ऑनलाइन आवेदन की सुविधा

बिहार सरकार ने सर्वे के दौरान दाखिल-खारिज के लिए ऑनलाइन आवेदन की भी सुविधा दी है। अगर कोई व्यक्ति गांव से बाहर है या सर्वे के दौरान मौजूद नहीं हो सकता, तो वह व्यक्ति ऑनलाइन आवेदन पत्र-2 में जमा कर सकता है। इसके लिए वेबसाइट dlrs.bihar.gov.in पर जाकर आवेदन किया जा सकता है। यह ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया लोगों को काफी हद तक सुविधा प्रदान करती है, खासकर उन लोगों के लिए जो फिजिकली उपस्थित नहीं हो सकते।

दस्तावेजों के साथ आवेदन की अपील

सर्वे अधिकारी द्वारा इस बात पर जोर दिया गया है कि प्रपत्र-2 के साथ जितना संभव हो सके, उतने दस्तावेज जमा किए जाएं। इससे सरकारी रिकॉर्ड के साथ आपकी दी गई जानकारी का मिलान करने में सुविधा होगी। प्रपत्र-3 में वंशावली की घोषणा भी की जानी है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि जमीन आपके पूर्वजों के नाम पर है और अब इसे आपके नाम पर हस्तांतरित किया जाना चाहिए।

नक्शे के लिए ऑनलाइन आवेदन

सर्वे से जुड़े नक्शों और अन्य दस्तावेजों के लिए राज्य सरकार ने एक और अहम कदम उठाया है। अब आपको नक्शे के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी। आप www.dlrs.bihar.gov.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके बाद राज्य सरकार नक्शा आपके घर पर पहुंचाने की व्यवस्था करेगी। इस फैसले से सरकारी दफ्तरों में भीड़ कम होगी और लोग आसानी से अपने दस्तावेज प्राप्त कर सकेंगे।

सर्वे के लिए अनिवार्य दस्तावेज

सर्वे के लिए आपको कुछ जरूरी दस्तावेज देने होंगे। इसमें आपकी जमीन का रकबा, चौहदी और खेसरा नंबर की जानकारी स्वघोषणा पत्र में देनी होगी। इसके साथ ही जमाबंदी यानी मालगुजारी रसीद की फोटो कॉपी जमा करनी होगी। अगर आपके पास खतियान का नकल उपलब्ध है, तो उसे भी देना होगा। यदि जमीन का हस्तांतरण करना है, तो मृतक वारिस के प्रमाण के रूप में आधार कार्ड जैसे डॉक्यूमेंट्स भी आवश्यक होंगे।

सरकारी दस्तावेजों के मिलान की प्रक्रिया

सर्वे के दौरान दिए गए प्रपत्र-2 की जानकारी का मिलान सरकारी दस्तावेजों से किया जाएगा। अगर जमीन पर किसी तरह का दखल या कब्जा है, तो नया खतियान बनाकर जमीन मालिक को दिया जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी और सुव्यवस्थित बनाने के लिए सरकार ने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं, ताकि किसी भी तरह की गड़बड़ी की गुंजाइश न हो।

बिहार सरकार का यह निर्णय जमीन विवाद से जूझ रहे लोगों के लिए बड़ी राहत है। सर्वे के दौरान दाखिल-खारिज दस्तावेज का अपडेट अनिवार्य न होने से उन लोगों को भी फायदा मिलेगा, जिनके दस्तावेज पुराने हैं या अपडेट नहीं हो सके हैं। ऑनलाइन आवेदन की सुविधा और तीन बार अपील करने का प्रावधान भी लोगों को सुरक्षा और सहूलियत प्रदान करता है। इस सर्वे से जमीन विवादों के निपटारे में तेजी आएगी और राज्य में जमीन से जुड़े मामलों को हल करने में मदद मिलेगी

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